हिंदी भाषा के महत्व को सम्मान और मान्यता देने के लिए पूरे भारत में हिंदी दिवस बड़े उत्साह और गर्व के साथ हर वर्ष 14 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन हमें हमारी भाषाई विविधता और अनेक बोलियों वाले राष्ट्र में एक एकीकृत भाषा की आवश्यकता की याद दिलाता है। हिंदी हमारे दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखती है और राष्ट्रीय गौरव व एकता की भावना को बढ़ावा देती है।
हिंदी केवल एक संप्रेषण का माध्यम नहीं है, बल्कि यह प्राचीन ग्रंथों, परंपराओं, ज्ञान और शाश्वत विचारों का भंडार भी है। यह अतीत और वर्तमान के बीच सेतु का कार्य करती है, जिससे हमारे धर्मग्रंथ और शास्त्रीय रचनाएँ समकालीन पीढ़ियों तक पहुँचती हैं।
आधुनिक युग में भी हिंदी सहजता से नए शब्द और अवधारणाएँ अपनाकर अपने आप को ढालती है। साहित्य, कला, सिनेमा और दैनिक संचार में हिंदी अपनी बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन करती है।
संक्षेप में, हिंदी दिवस हमारी सांस्कृतिक और भाषाई विरासत का उत्सव है। यह दिन आने वाली पीढ़ियों को हिंदी के संरक्षण, प्रयोग और विकास के लिए प्रोत्साहित करने का महत्वपूर्ण संदेश देता है।
हिंदी दिवस इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दिन 14 सितंबर, 1949 का प्रतीक है, जब भारत की संविधान सभा ने हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में अपनाया था। यह निर्णय संविधान के तहत लिया गया और 26 जनवरी, 1950 से लागू हुआ। वर्तमान में भारत की दो आधिकारिक भाषाएँ हैं – हिंदी और अंग्रेज़ी।
इसके साथ ही हिंदी दिवस पर हम महान विद्वान और इतिहासकार बेहर राजेंद्र सिम्हा की जयंती भी मनाते हैं, जिन्होंने हिंदी भाषा को राजभाषा के रूप में स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई थी।
इस प्रकार, हिंदी दिवस हमें हमारी मातृभाषा से गर्व करने, उसकी समृद्धि को बढ़ाने और आने वाली पीढ़ियों को इसे सशक्त बनाए रखने का संकल्प दिलाता है।
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